विघ्ननाशक गणपति स्तोत्र (Vighna Nashak Ganesh Stotra)

गणपति गजानन जो रिद्धि सिद्धि के स्वामी है जो की विघ्नहर्ता भी है यदि किसी मनुष्य को किसी कार्य में असफलता मिल रही है और वह मनुष्य नियमित होकर विघ्ननाशक गणपति स्तोत्र का पाठ और संकत्नाशन स्तोत्र का पाठ (Vighna Nashak Ganesh Stotra) करे तो उसके सारे कष्ट विघ्नहर्ता गणेश हर लेंगे तो आइये स्मरण करें

परं धाम परं ब्रह्म परेशं प्रभुश्वरम्। 

विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम् ॥ 

सुरासुरेन्द्रायः सिद्धेन्द्रेः स्तुतं स्तौमि परात्परम्। 

सुरपद्मादिनेशं च गणेशं मंगलायणम् ॥ 

इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परम्। 

यः पठेत् प्रातरुथय सर्वविघ्नत् प्रमुच्यते ॥

विघ्ननाशक गणपति स्तोत्र का अर्थ (Vighna Nashak Ganesh Stotra Lyrics)

अर्थ-जो परम धाम, परब्रह्म, परेश, परम ईश्वर, विघ्नों के विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर और अनन्त है । प्रधान- प्रधान सुर, असुर और सिद्ध जिनका स्तवन करते हैं । जो देवरूपी कमल के लिए सूर्य और मंगलों के लिए आश्रय स्थान हैं। उन परात्पर गणेश की मैं स्तुति करता हूँ।

यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण्यमय विघ्न और शोक को हरने वाले हैं । जो प्रातःकाल इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सदा विघ्नों से मुक्त हो जाता है ।


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